Priyanka Verma

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लेखनी कविता - पापा की परी


हर किसी के नसीब में,
पापा की परी बनना कहां लिखा होता है,
जो समझे अपनी बेटी को राजकुमारी,
ऐसा हर बार मुमकिन कहां होता है,

पैदा करके छोड़ दी जाती हैं, नन्ही कलियां
हर किसी के भाग में
फूल बनकर मुस्कुराना कहां लिखा होता है,
जहां पिता ही खुद छुड़ाना चाहे पीछा उससे,
तो ऐसे में पापा की परी बनना,
उसके किस्मत में नहीं होता है!!

कड़वा है, मगर सच है यही,
बेटियों को आज भी बोझ समझा जाता है,

वक्त का पहिया भी, इस कड़वे सच को,
मानते हुए, अपनी चाल से चलता रहता है।।



प्रियंका वर्मा
10/5/22


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10 Comments

Muskan khan

11-May-2022 02:26 PM

Amazing

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Farida

10-May-2022 08:08 PM

Well done

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Anam ansari

10-May-2022 08:03 PM

Very nice

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